Retirement Planning Guide – ₹2 करोड़ की रिटायरमेंट कॉर्पस सुनने में बहुत बड़ी लगती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह रकम सच में पूरी जिंदगी के लिए पर्याप्त Monthly Income दे पाएगी? आज के समय में महंगाई, मेडिकल खर्च, लाइफस्टाइल जरूरतें और परिवार की जिम्मेदारियां तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में सिर्फ बड़ी रकम होना काफी नहीं, बल्कि सही कैलकुलेशन और प्लानिंग जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति 60 साल की उम्र में रिटायर होता है और उसे 85–90 साल तक का जीवन मानकर चलना है, तो उसे हर महीने कितनी इनकम चाहिए, यह पहले तय करना होगा। ₹2 करोड़ को बैंक FD, म्यूचुअल फंड, पेंशन स्कीम या अन्य निवेश विकल्पों में कैसे बांटना है, इसका असर सीधा Monthly Income पर पड़ता है। सही प्लानिंग के बिना यह पैसा जल्दी खत्म भी हो सकता है, जबकि समझदारी से निवेश करने पर यह लंबे समय तक स्थिर इनकम दे सकता है।

रिटायरमेंट के बाद Monthly Income की सही जरूरत कैसे तय करें
Monthly Income तय करने का पहला कदम है अपने मौजूदा खर्चों का आकलन करना। रिटायरमेंट के बाद भी घर का खर्च, बिजली-पानी, राशन, ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च खत्म नहीं होते। मान लीजिए आज आपका मासिक खर्च ₹40,000 है, तो 10–15 साल बाद महंगाई के कारण यही खर्च ₹70,000 या उससे ज्यादा हो सकता है। इसलिए रिटायरमेंट प्लानिंग में Inflation को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस और इमरजेंसी फंड का अलग से प्रावधान जरूरी है। ₹2 करोड़ की राशि से अगर आप 6% सालाना सुरक्षित रिटर्न मानें, तो टैक्स कटने के बाद आपकी Monthly Income सीमित हो सकती है। इसलिए खर्च, महंगाई और संभावित रिटर्न – इन तीनों का संतुलन बनाकर ही सही Monthly Income तय करनी चाहिए।
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₹2 करोड़ से मिलने वाली संभावित Monthly Income का कैलकुलेशन
अगर ₹2 करोड़ की पूरी रकम को अलग-अलग निवेश विकल्पों में लगाया जाए, तो Monthly Income अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आधी रकम सुरक्षित विकल्पों जैसे FD या सरकारी स्कीम में और आधी इक्विटी या हाइब्रिड फंड में लगाई जाए, तो औसतन 7–8% रिटर्न संभव है। 7% सालाना रिटर्न पर ₹2 करोड़ से लगभग ₹14 लाख सालाना बनते हैं, यानी करीब ₹1.15 लाख प्रति महीना। लेकिन इसमें टैक्स और Inflation का असर भी जुड़ा है। अगर आप हर साल थोड़ा-थोड़ा मूलधन भी निकालते हैं, तो भविष्य में Income घट सकती है। इसलिए Withdrawal Rate को 4–5% के आसपास रखना सुरक्षित माना जाता है। इस हिसाब से ₹2 करोड़ से ₹65,000–₹80,000 की स्थिर Monthly Income ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है।
महंगाई और मेडिकल खर्च रिटायरमेंट प्लानिंग को कैसे प्रभावित करते हैं
रिटायरमेंट के बाद सबसे बड़ा जोखिम महंगाई और मेडिकल खर्च का होता है। आज जो मेडिकल खर्च ₹1 लाख सालाना है, वह 10 साल बाद ₹2–3 लाख भी हो सकता है। बढ़ती उम्र के साथ हेल्थ चेकअप, दवाइयां और अस्पताल खर्च आम बात है। अगर इन खर्चों को पहले से कैलकुलेशन में शामिल नहीं किया गया, तो ₹2 करोड़ की रकम जल्दी दबाव में आ सकती है। इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस, टॉप-अप प्लान और अलग मेडिकल फंड बनाना जरूरी है। महंगाई को मात देने के लिए निवेश का एक हिस्सा इक्विटी में रखना भी जरूरी होता है।
सुरक्षित रिटायरमेंट के लिए ₹2 करोड़ का सही उपयोग कैसे करें
₹2 करोड़ की रिटायरमेंट राशि को एक ही जगह निवेश करना समझदारी नहीं है। इसे तीन हिस्सों में बांटना बेहतर होता है – एक हिस्सा सुरक्षित निवेश, दूसरा ग्रोथ निवेश और तीसरा लिक्विड फंड। सुरक्षित निवेश से नियमित Monthly Income मिलती है, ग्रोथ निवेश Inflation को कवर करता है और लिक्विड फंड इमरजेंसी में काम आता है। इसके साथ ही Systematic Withdrawal Plan यानी SWP का इस्तेमाल करके हर महीने तय रकम निकाली जा सकती है। इससे पैसा भी बढ़ता रहता है और Income भी मिलती रहती है।
